Tuesday, May 21, 2013

15 मई 2013: मत्था टेक तमाशा देख

आज मई पंद्रह है। क्रिस्सी और मैं अपस्टेट की यात्रा कर रहे हैं। इस समय मैं औल्बनी की लाइब्रेरी में बैठा हूँ जो कई मायनों में स्टोनी ब्रुक की लाइब्रेरी से बेहतर है - ख़ास तौर से स्थापत्य कला के मामले में (जिसकी, हालांकि तनिक भी जानकारी मुझे नहीं है) ।

इससे कुछ समय पहले मैं बरबस ही औल्बनी के बुकस्टोर में टहलता हुआ पाया गया था। कुछ समय वहां बिताने के बाद और एक किताब खरीदने के बाद (जॉर्ज सौन्डर्स की "टेंथ ऑफ़ डिसेम्बर" - लगभग 29 डॉलरों की मुंहतोड़ चपत!) मैंने लाइब्रेरी का रुख किया।

औल्बनी का मेरे लिए एक और आकर्षण भी है: यहाँ का "न्यूयॉर्क स्टेट राइटर्स सेण्टर" जहाँ से अनेक सुप्रसिद्ध और ज़बरदस्त लेखकों का जुड़ाव रहा है (पॉल ऑस्टर, जॉर्ज सौन्डर्स, मनिल सूरी, सिरी हस्तवेट और मेरिलिन रोबिनसन उनमें से कुछ प्रख्यात नाम हैं)। लेखकों के इस अड्डे पर पहुँच कर उनमें से एक की किताब ना खरीदता, यह बात बुरी भले ही ना होती, एक अर्धसुशुप्त सा मलाल ज़रूर इधर-उधर से झांकता रहता (हालांकि तीस डॉलर का सौदा बड़ा महंगा पड़ा!)।

फिलहाल मैं यहाँ के राइटर सेण्टर का मुआयना करना जा रहा हूँ। कहते हैं तीर्थस्थल पर पहुँचने के बाद देवी के मंदिर में मत्था टेकना ज़रूरी होता है।

अपडेट: लिडिया डेविस, सुनी औल्बनी, प्रोफेसर, क्रिएटिव राइटिंग (रचनात्मक लेखन) को मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाज़ा गया! 

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