From Tridev (1989), written by Anand Bakshi:
गली गली में फिरता है
तू क्यों बन के बंजारा?
आ मेरे दिल में बस जा
मेरे आशिक़ आवारा
तेरा प्यार है इक सोने का
पिंजड़ा ओ शहज़ादी
मुझको अपनी जान से प्यारी
है अपनी आज़ादी
You roam in streets and alleys
Having become a wanderer
Come live in my heart
My lover philanderer
Your love is but a golden
Confinement o princess
Lovelier than my life
Is my own egress
...