( एक सवाल जो पूछा जा सकता है, वो यह है कि ये जो मैं लिख रहा हूँ, सो क्यों लिख रहा हूँ? तो अच्छा सवाल है, पर जवाब नहीं मिलेगा -- कम से कम फिलहाल नहीं. )
कुछ दिन पहले तक मैं यूनिवर्सिटी में पढ़ा करता था. पढ़ा क्या करता था, यूं कहिये कि पढ़ने कि कोशिश किया करता था. खैर...फेल हो गया, निकाल दिया गया. एक किस्सा था, सो ख़त्म हुआ.
...
बाहर बर्फ गिर रही है. ठंड ऐसी कि पूछिये मत और आखरी वजीफा था, वो किराये में चुक गया.
नहाये हुए अरसा हो गया, दाढ़ी बढ़ गई है, शरीर से बदबू आ रही है और न जाने क्या क्या? लेकिन ये सब फिलहाल मेरे दिमाग में नहीं हैं. लिख तो बस इसलिए दे रहा हूँ कि किताबें जो लिखी जाती हैं उनमे यह सब लिखो, तो क्रिटिक जन तारीफ करते हैं, कहते हैं "बड़ी रिअलिस्टिक कहानी है. लौंडे में दम है". और जब हम ठान ही चुके हैं कि इस साल कि बेस्ट कहानी हम लिखेंगे, तो लाज़मी है कि क्रिटिक्स को खुश रखा जाए.
तो जैसा कि मैं कह रहा था, यह सब मेरे दिमाग में नहीं चल रहा है......तो फिर क्या चल रहा है? तो जनाब अधीर न हों, बताते हैं...
मधूलिका आई थी आज यहाँ. उसे देखे हुए काफी वक्त हो चला था. मुझे मालूम होता कि वो आने वाली है तो चुप्पे से सटक लिया होता मैं.
कुछ पैसे दे गई मुझे...कह रही थी कि रूम का किराया चुका दूँ पुराना. (मेरी मकान मालकिन मेरे बारे में चुगली करती है! छोडूँगा नहीं साली को. वैसे ही कुछ कम बेइज्ज़ती हुई है मेरी जो अब औरों से पैसे मांगता फिरूं?) वैसे बड़े दिनों बाद कुछ अच्छा खाने को नसीब हुआ. हाल इतने खस्ता चल रहे हैं कि मना करने की हिम्मत भी नहीं हुई और मुझे ऐसे भूखों की तरह खाता हुआ देख के वो रोने लगी, सो अलग. मुझे ज़रा भी अच्छा नहीं लगा. लेकिन मैंने नाटक किया कि मैंने नोटिस नहीं किया और खाता रहा. कसम से, मालूम होता मधु आएगी तो सटक लिया होता मैं...
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Test successful...
Begin blogging in Hindi...
End.
14 comments:
Does not work on my browser. Sucks to you!!!
Blog in english like good boy!
wokay...
but i am surprised that a techie like you doesn't have a browser with indic font support...
Though Mozilla doesn't support hindi font (I guess so) but I hardly had any problems reading it..yay!
Anyway coming back to your post..you know what it reminded me of Nirmal Verma's writing style (successfully read Raat Ka Reporter and a few short stories).
You know what ...you are pretty good at copying .. I mean that Gulzar style poem 'hua karta tha maa bete main ek roohani rishta' or something like that, and now this..
..inherent talent huh!!?
:P
P.S.- "i m lovin' it"...hence write some more.. onegai!
Although the allegation that I am a natural photocopier is correct, the observation that this is a Nirmal Verma ishtyle post is ultra incorrect. Nirmal Verma doesn't write conversationally...though there can exist certain thematic elements common here...
As regards the doggerel I posted some days back...I declared from the outset that their souls are Gulzar ripoffs...
'लेकिन मैंने नाटक किया कि मैंने नोटिस नहीं किया और खाता रहा. कसम से, मालूम होता मधु आएगी तो सटक लिया होता मैं...'
I love this sentence and I feel it resembles Nirval Verma's style of writing somehow (referring to the use of the English word 'notice' in a Hindi write up). I can't really defend myself on this one but yet..
कुछ ग्रामर के लोचे हैं,
और कहीं-कहीं कन्ज्न्क्शन और प्रिपोजिशन की गैर ज़रूरी आवृतियां,
अब ये मत कहाओ हमसे कि बात नहीं बनी.
इरा से- जो ’डार्क एंड डी’ नहीं है वो निर्मल-वर्मीय नहीं है.
[क्योंकि सत्यव्रत झूठ नहीं बोलता]
भूलसुधार (पिछली टिप्पणी में)- डार्क एंड डीप*
A post discussing these elements and influences and the question whether this is Nirmal Vermaish will follow.
@satyavrat: 'Dark and deep' hmm...ya maybe but yet..
Don't be surprised. I can make my browser orgasm in Swahili if I wanted to. It's just that my Hindi reading skills are rusty...well...have always been pretty rusty. And I am way too lazy,(surprise surprise) just like you, to make the effort.
Hence...
i try to practice the little hindi i know by reading pandu's blogs....now you have started as well!
Good good...
You're not blogging much. Busy???
Eeshhtyle!
बकलोल! धंदे की बात कब करें?
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